भारत में नवरात्रि एक प्रमुख और पावन पर्व है, जिसे साल में चार बार मनाया जाता है—माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन मास में। इनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। मार्च 2025 में शुरू हुई यह चैत्र नवरात्रि, भक्तों के लिए मां दुर्गा की आराधना, साधना और आत्मशुद्धि का एक सुनहरा अवसर लेकर आई है। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।
नवरात्रि का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रात्रियां’। इस दौरान भक्तगण मां दुर्गा के नौ स्वरूपों—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं। प्रत्येक देवी का एक विशेष स्वरूप और आशीर्वाद होता है, जो जीवन में शक्ति, ज्ञान, समृद्धि और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
पुराणों के अनुसार, जब असुर महिषासुर का आतंक बढ़ गया था, तब देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक युद्ध करके उसे पराजित किया था। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसी कारण, इन नौ दिनों में लोग संयम, तप और भक्ति के माध्यम से अपने भीतर की नकारात्मकता को समाप्त करने का प्रयास करते हैं।
पूजा-पद्धति और अनुष्ठान
कलश स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जिसमें जल से भरे कलश की स्थापना कर देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है।
नौ दिन की पूजा: प्रत्येक दिन मां दुर्गा के एक स्वरूप की विशेष पूजा की जाती है और उपवास रखा जाता है।
राम नवमी: नवरात्रि के अंतिम दिन राम नवमी का पर्व मनाया जाता है, जो भगवान श्रीराम के जन्म का प्रतीक है।
कन्या पूजन: अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर भोजन और उपहार दिए जाते हैं।
नवरात्रि का वैज्ञानिक और स्वास्थ्य से जुड़ा पहलू
नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी है। यह समय ऋतु परिवर्तन का होता है, जब गर्मी बढ़ने लगती है और शरीर को हल्के, सात्त्विक आहार की आवश्यकता होती है। इसलिए व्रत और फलाहार का महत्व बढ़ जाता है। उपवास रखने से शरीर को डिटॉक्स करने का अवसर मिलता है, जिससे पाचन क्रिया मजबूत होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
नवरात्रि और सांस्कृतिक उल्लास
नवरात्रि केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उत्सव, संगीत और नृत्य का भी पर्व है। गुजरात और राजस्थान में गरबा और डांडिया का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग पारंपरिक वेशभूषा में थिरकते हैं। यह पर्व सामाजिक समरसता को भी बढ़ावा देता है, जहां लोग एक साथ आकर भक्ति और आनंद में लीन होते हैं।
निष्कर्ष
नवरात्रि शक्ति की साधना का पर्व है, जिसमें आत्मशुद्धि, भक्ति और उत्साह का अनूठा संगम देखने को मिलता है। यह हमें सिखाता है कि सच्ची शक्ति हमारे भीतर है, जिसे हमें अनुशासन, भक्ति और सकारात्मकता से जागृत करना चाहिए। मार्च 2025 की यह नवरात्रि हम सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए, यही कामना है। जय माता दी!
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