अध्यक्ष श्री रविन्द्र कुमार सिन्हा की कलम से 

तीन वर्ष पहले कायस्थ क्रन्तिकारी विचार मंच के तत्कालीन संघ अध्यक्ष श्री अरुण कुमार सिन्हा एवं श्री चित्रगुप्त अदि मंदिर के प्रधान सचिव श्री कमल नयन श्रीवास्तव मुझे आग्रह पूर्वक सहाय सदन में आयोजित चित्रगुप्त अदि मंदिर की बैठक में ले गये थे | वहाँ मैं जब पहुँचा तो बैठक शुरू हो चुकी थी | मेरे पहुँचने के बाद अचानक वहाँ मंदिर प्रबन्धक समिति के अध्यक्ष हेतु मेरे नाम का प्रस्ताव आया । जब तक में कुछ कह पाता वह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास हो गया और मुझे फूल मालाओं से लाद दिया गया। मैं इस महती जिम्मेदारी के लिए तैयार न था | लेकिन ईश्वरीय अनुकम्पा मानकर मैंने इस जनादेश को शिरोधार्य कर लिया | उन दिनों डॉ नरेन्द्र प्रसाद के नेतृतव में श्री चित्रगुप्त अदि मंदिर के जीर्णोद्धार का काम जोरशोर से शुरु हो चुका था |

इस बीच चमत्कारीक रूप से हाजीपुर के चित्रसेनपुर नामक गाँव में 50 वर्ष पहले मंदिर से गायब हो गयी काले कसौटी पत्थर से 1574 में राजा टोडरमल द्वारा बनवाई गयी श्री चित्रगुप्त जी की प्रतिमा का पूर्नावतरण एवं मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की पहल पर मुझे उक्त अमूल्य मूर्ति का जिम्मा राज्य सरकार द्वारा दिया जाना एवं 10 नवम्बर 2007 को शास्त्रीय विधि से प्राण प्रतिष्ठा के साथ मंदिर में उक्त प्रतिमा के पुनर्रस्थापना की ऐतिहासिक घटनाओ के सभी साक्षी हैं |

 

तीन वर्ष के अपने कार्यकाल के पूरा होने के पश्चात गत 2 मई को श्री चित्रगुप्त अदि मंदिर प्रबन्धक समिति की आम सभा में फिर तीन वर्ष पहले की घटना दोहराई गयी। जब तक मैं पद्मश्री डॉ गोपाल प्र. सिन्हा, रविनन्दन सहाय, डॉ नरेन्द्र प्रसाद या कमांडेंट पी. सी. सिन्हा अथवा अन्य वरिष्ठ चित्रांश भाईयों से अध्यक्ष बनने की गुहार करता – सर्वसमिति से मुझे ही पुन: अगले कार्यकाल के लिये अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गई। जनादेश फिर से शिरोधार्य हो गया। मुझे मंदिर के जीर्णोधार कार्य को गतिशील करने के लिये और अपनी टीम बनाने के लिये भी प्राधीकृत किया गया। कायस्थ नव् जागरण आन्दोलन के वरिष्ठ सहयोगीयों से राय ले कर मैंने एक सशक्त टीम भी बनाई है। संविधान संशोधन भी करना है ताकि कार्यकारिणी का विस्तार कर अधिक पदाधिकारियों/सदस्यों को बाद में जोड़ा जा सके।

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आशा है प्रकाशन का यह प्रयास आपको अच्छा लगेगा |