02
Jun
महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म के चारों वेदों की व्याख्या की थी। माना जाता है आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था। उनके सम्मान में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। हमारे देश में गुरु और शिष्य का रिश्ता बड़ा ही पवित्र माना गया हैं एवं गुरु को देव तुल्य माना गया हैं। जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्व को बताने के लिए यह पर्व आदर्श है। गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है। भारतीय संस्कृति में गुरुओं को ब्रह्माण्ड के प्रमुख देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान पूज्यनीय माना गया हैं। पुराणों में कहा गया हैं की गुरु ब्रह्मा के समान हैं और मनुष्य योनि में किसी एक विशेष व्यक्ति को गुरु बनाना बेहद जरूरी हैं।
Leave a Reply