नवरात्रि की तरह छठ पूजा भी साल में 2 बार होती है. एक चैत्र माह में और दूसरा कार्तिक माह में। छठ पूजा व्रत सभी व्रत त्योहारों में कठिन है। छठ पूजा का पर्व बहुत ही पवित्र और पावन होता है. छठ पूजा में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस पर्व में महिलाएं अपने पुत्र और पति की दीर्घायु की कामना के लिए छठ पूजा का व्रत रखतीं हैं. इसका व्रत बड़े ही श्रद्धा और विश्वास के साथ रखा जाता है। छठ पर छठी मैया की पूजा की जाती है और भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि छठ पर्व करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। इसके साथ ही भगवान सूर्य देव का आशीर्वाद बना रहता है। आइए जानते हैं चैत्र छठ पूजा की शुभ तिथि,
अर्घ्य देने की विधि, पूजा की सामग्री और पूजा का महत्व।
चैत्र छठ पर्व 2024 की शुभ तिथि
छठ पूजा का पर्व चार दिनों का होता है।छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है और सूर्योदय के अर्घ्य देकर पारण करने के बाद समाप्त होती है। इस साल चैत्र छठ पूजा की शुरुआत 12 अप्रैल से होगी और समाप्ति 15 अप्रैल को पारण करने के साथ होगी।
- 12 अप्रैल 2024 दिन शुक्रवार को नहाय खाय है
- 13 अप्रैल 2024 दिन शनिवार को खरना
- 14 अप्रैल 2024 दिन रविवार को संध्या अर्घ्य
- 15 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को उगते हुए सूर्य के अर्घ्य और पारण किया जाएगा।
छठ पूजा के दिन अर्घ्य देने की विधि
- एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें।
- इसके बाद दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर अस्त होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र (ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
- छठ पर्व के अंतिम दिन सप्तमी की प्रातः काल में सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- सप्तमी की प्रातः काल उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है।
- छठ माता से अपनी संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का आशीर्वाद मांगा जाता है।
- पूजा के बाद व्रत करने वाली महिलाएं कच्चे दूध का शरबत और थोड़ा प्रसाद ग्रहण करके व्रत को पूरा करती हैं, जिसे पारण कहा जाता है।
छठ पूजा सामग्री
बांस या पीतल का सूप, दूध और जल के लिए गिलास, चम्मच, सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तांबे का कलश, बड़ी टोकरी, थाली, दीपक, खाजा, गुजिया, गुड़, दूध से बनी मिठाइयां, लड्डू, दूध, जल, शहद, गंगाजल, चंदन, चावल, सिंदूर, धुपबत्ती, कुमकुम, कपूर, मिट्टी के दीए, तेल और बाती, नारियल, ऋतुफल, कलावा, सुपारी, फूल और माला, शरीफा, नाशपाती, बड़ा वाला नींबू, सिंघाड़ा, सुथनी, शकरकंदी, मूली, बैंगन, हल्दी, अदरक का पौधा, पत्ते लगे हुए ईख, केले, गेहूं, चावल, आटा इत्यादि. ये छठ पर्व के लिए कुछ सामान्य पूजन सामग्री हैं, इसके अलावा आप अपने क्षेत्र की परंपरा और क्षमतानुसार चीजें पूजन सामग्री में शामिल करें।
चैत्र छठ पर्व का महत्व
पुत्र व पति की दीघार्यु एवम् परिवार की खुशी की कामना को लेकर ये पर्व मनाया जाता हैं। अक्सर पहले पुत्र की प्राप्ति के बाद महिलाएं व्रत को उठातीं हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक छठी मैया को सूर्य देवता की बहन कहा जाता है. मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठी माई प्रसन्न होती हैं और यह परिवार को सुख शांति, धन धान्य से सम्पन्न करतीं हैं। सूर्य जैसा श्रेष्ठ सन्तान के और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए इस व्रत को रखा जाता है।
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